
शिवा गौरी के नाजुक से पेट को चूम रहा था और उसके होठों को अपने पेट पर महसूस कर ही गौरी के पैर हल्के से ऊपर की तरफ उठ गए थे लेकिन अगले ही पल शिवा ने उसके पैरों पर अपने पैर रखे और उन्हें बिस्तर पर हल्का सा धंसा दिया।
गौरी और भी ज्यादा बेचैन हो उठी। उसका हाथ शिवा के सिर पर आ गया था और वो उसके बालों में अपनी उंगलियां चलाते हुए बेहद मदहोशी भरी आवाज में बोली "रुक जाइए ना शिवा… प्लीज अब रुक जाइए! कुछ अजीब सा हो रहा है… प्लीज मेरी बात मान लीजिए!”





















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