
राणावत मेंशन
जैसे ही उस शख्स ने बरकत को गोल घुमाया और उसे दीवार से लगाया बरकत की आंखें बड़ी हो गई! वो उस शख्स को ना सिर्फ अच्छे से जानती थी बल्कि बहुत अच्छी तरह से पहचानते भी थी और उसे उस शख्स से हद से ज्यादा नफरत भी थी।

राणावत मेंशन
जैसे ही उस शख्स ने बरकत को गोल घुमाया और उसे दीवार से लगाया बरकत की आंखें बड़ी हो गई! वो उस शख्स को ना सिर्फ अच्छे से जानती थी बल्कि बहुत अच्छी तरह से पहचानते भी थी और उसे उस शख्स से हद से ज्यादा नफरत भी थी।
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