
जीवन सामने सोफे पर बैठा था और शिवा उसे घूर-घूर कर देख रहा था, उसने गौरी और जीवन का रिश्ता तो फिक्स कर दिया था लेकिन इस वक्त उसके दिमाग में और भी बहुत कुछ चल रहा था!
वही गौरी भी उसे गुस्से भरी नजरों से देख रही थी, उसे क्या जरूरत थी ये सब करने की? वो नॉर्मली भी तो बोल सकता था ना कि हां उसने गौरी और जीवन का रिश्ता करवा दिया लेकिन ना जाने उसके दिमाग में क्या ही चल रहा था कि उसने वो हाथ पर हाथ भी रखवाया! बेशक से गौरी का हाथ जीवन के हाथ पर नहीं था लेकिन फिर भी गौरी को बुरा लग रहा था और अब शिवा को देखते हुए गौरी भी इतना तो समझ चुकी थी कि वो जरूर कुछ ना कुछ सोच रहा है! ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि वो गौरी की शादी जीवन से होने दे…

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