The Dark Villa,
KV की बातें सुनते हुए अनिका और कृतिका दोनों का चेहरा बुरी तरह से कांप रहा था! आज एक बार फिर से अनिका अपने इरादों में फेल हो चुकी थी!
अभी तक उसका अपना बेटा तो वहां पर नहीं आया था, हालांकि ऐसा नहीं था AV और KV दोनों उसके बारे में जानते नहीं थे! उन्होंने उसे देखा भी था और अब वो उसे पूरी तरह से पहचानते भी थे लेकिन फिलहाल वो वहां सामने नहीं था!
वहां सिर्फ कृतिका और अनिका ही थी और अब KV सामने खड़े गार्ड की तरफ देखते हुए बोला "जल्दी से जल्दी यहां का कचरा साफ करो, वरना खुद भी तुम लोग उस कचरे के साथ यहां से बाहर निकाल दिए जाओगे!”
उसकी बात सुनकर गार्ड्स की टीम तुरंत हरकत में आ गई थी! उन्होंने जल्दी से अनिका और कृतिका की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया!
जैसे ही एक गार्ड अनिका को छूने लगा वो गुस्से से चिल्लाते हुए बोली "खबरदार अगर मुझे हाथ भी लगाया तो, कोई एरी गैरी इंसान नहीं हूं मैं जिसे तुम यूं ही हाथ लगाओगे… उठाओगे और बाहर जमीन पर पटक आओगे!”
जैसे ही उसने कहा AV तिरछी मुस्कुराहट के साथ बोला "तुम उससे भी ज्यादा वाहियात हो अनिका! ये तो शुक्र मनाओ तुम्हें फिर भी गॉड्स बाहर निकाल रहे थे, वरना मैं तो बाहर से कुछ लोग बुलाने वाला था तुम्हें धक्के मार कर यहां से बाहर निकालने के लिए और तुम भी जानती हो वो लोग कैसे होते हैं?” ये बोलते हुए उसके चेहरे पर वो सारकास्टिक एक्सप्रेशंस और भी ज्यादा डार्क हो गए थे!
अनिका उसकी तरफ देखते हुए बड़ी ही अदा से बोली "फिलहाल तो मैं यहां से जा रही हूं लेकिन तुम लोगों की जिंदगी से नहीं जाऊंगी!”
कसक जल्दी से बोली "यही तो प्रॉब्लम है! हम लोग तुम्हें बेशक से जितना मर्जी धक्के मारकर बाहर निकाल दे लेकिन तुम हो कि तुम्हें कोई असर होता ही नहीं है, अपनी बेइज्जती फील होती ही नहीं है! अगर तुम्हारी जगह कोई और होता ना तो अब तक शर्म से मर जाता लेकिन तुमसे शर्म लिहाज की क्या ही उम्मीद की जाए? जिसने अपनी नफरत में अंधी होकर अपने बच्चों तक को नहीं छोड़ा, उन्हें भी अपने इस घटिया खेल में शामिल कर लिया! शर्म आनी चाहिए तुम्हें अनिका…
उसकी बात पर अनिका गुस्से से मुट्ठियां कसते हुए बोली "तुम्हें जो बोलना है तुम बोलो, लेकिन तुम्हारी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि जो होना है वो तो होकर ही रहेगा! अभी मैं यहां से जा रही हूं लेकिन आज तुम लोगों ने जो किया है उसका जवाब तुम्हें बहुत जल्दी मिलेगा! अगर आज मेरे इरादे कामयाब नहीं हुए तो क्या हुआ? जब तक मैं तुम लोगों को बर्बाद नहीं कर देती तब तक मैं चैन से नहीं रहूंगी, तुम्हारी बर्बादी मेरे हाथों जरुर होगी! बेशक से देर से ही सही लेकिन इस बर्बादी को कोई रोक नहीं सकता…
ये बोलकर उसने कृतिका की तरफ देखा और बोली "चलो यहां से कृतिका!”
उसकी बात पर कृतिका ने अपना चेहरा हां में हिलाया और वहां से जाने लगी, लेकिन जाते हुए उसकी नज़रें KV पर थी जो व्योक्षा के साथ खड़ा था! व्योक्षा की आंखों में आंसू अभी भी थे…
वो अब सीधा व्योक्षा के पास आई और उसकी तरफ देखते हुए बोली "पागल बना रहा था ना ये तुम्हें ये बोलकर कि मैं इसकी बहन हूं? मेरी और KV की शादी के बारे में तुम्हें कुछ नहीं पता था ना? तुम्हारी मासूमियत का फायदा उठाया जा रहा था और ये पूरा घर चुपचाप तुम्हारी मासूमियत का खून होते हुए देख रहा था, ऐसा नहीं है कि तुम्हारी इस Pookie को इस बारे में कुछ पता नहीं था! सब जानती थी ये लेकिन फिर भी इन्होंने अपने बेटे को नहीं रोका! पता है क्यों? क्योंकि यहां के लड़कों को फ्रीडम दी जाती है कि वो लड़कियों के साथ बेशक से कुछ भी करें उन्हें कोई कुछ नहीं कहेगा, अब चॉइस तुम्हारी है! तुम्हें यहां पर रहना है या फिर यहां से जाना है? यहां रहोगी तो पूरी जिंदगी अपनी मासूमियत के साथ खिलवाड़ होते हुए ही देखोगी!”
जैसे ही उसने कहा कसक जोरों से चिल्लाई “कृतिका…
कृतिका ने पलट कर उसकी तरफ देखा और बोली "झूठ तो नहीं कहा मैंने! सच ही तो बोल रही हूं, सब पता था आपको लेकिन फिर भी आप चुप थी… अगर आप चाहती तो अपने बेटे को रोक सकती थी लेकिन कहां रोका आपने? जिसका मतलब तो यही है ना कि यहां के लड़कों को खुली फ्रीडम है! वो बेशक से कुछ भी करें और फिर आप लोग ही दावा करते हो महान होने का!” ये बोलते हुए उसके चेहरे पर सारकास्टिक एक्सप्रेशन थे!
अब उसने वापस व्योक्षा की तरफ देखा और उसके गाल पर अपना हाथ रख कर बोली "वैसे तो मुझे तुमसे कोई प्रॉब्लम नहीं है, जो कुछ भी था सिर्फ और सिर्फ KV की वजह से ही था लेकिन अब तो वो भी खत्म इसलिए एक एडवाइज दे रही हूं तुम्हें! जो भी फैसला लेना सोच समझ कर लेना क्योंकि यहां तो सिर्फ घटिया और घिनौनी सोच वाले लोग बैठे हैं!” ये बोलकर उसने एक नजर सब की तरफ देखा और फिर वहां से चली गई!
KV उसे जवाब देना चाहता था लेकिन फिलहाल वो चुप था क्योंकि ये सब कुछ वो व्योक्षा से बोल रही थी, अगर उसने किसी और से कहा होता तो शायद वो अब तक उसका मुंह तोड़ चुका होता लेकिन व्योक्षा? या तो वो उसके लिए एक्जिस्ट नहीं करती थी या फिर वो देखना चाहता था कि व्योक्षा क्या करेगी? उसकी बातें सुनकर वो क्या फैसला लेगी? लेकिन फिलहाल जो भी हो वो चुप था और अपनी गहरी निगाहों से कृतिका की तरफ देख रहा था जो अब बाहर की तरफ चली गई!
उनके जाने के बाद कसक व्योक्षा के पास आई और बोली "तुम उसकी बातों को सीरियस मत लेना, उसकी बातों के बारे में मत सोचना! मैं तुमसे झूठ नहीं कहूंगी व्योक्षा क्योंकि झूठ के पैर नहीं होते, दो कदम चलकर वो दम तोड़ देता है इसलिए मैं तुमसे जो भी कहूंगी सच ही कहूंगी! हां मैं जानती थी कि KV तुम्हारे साथ खिलवाड़ कर रहा है लेकिन पहले मुझे…
उसकी बात पूरी होती उससे पहले ही KV बोला "आपको ये सब बोलने की कोई जरूरत नहीं है मॉम क्योंकि इन सब बातों का कोई मतलब ही नहीं बनता!”
उसकी बात पर कसक हैरानी से उसकी तरफ देखने लगी! KV ने अब अपने गले में पहनी हुई वरमाला निकाली और नीचे जमीन पर फेंक दी!
व्योक्षा चुपचाप उसकी तरफ देख रही थी, उसने कुछ नहीं कहा!
कसक चौंकते हुए बोली "तुमने ये वरमाला क्यों उतार दी? और इसे ऐसे नीचे जमीन पर क्यों फेंक दिया?”
ये बोलते हुए उसने नीचे से उसे उठाया और उस पर लगी हुई मिट्टी साफ करने लगी! वो अब जल्दी से बोली "मुझे पहले तुम लोगों का गृह प्रवेश करवाना है, उसके बाद ही हम सब बाकी की बात करेंगे!”
ये बोलकर वो जैसे ही अंदर की तरफ जाने लगी KV ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोका और बोला "इन सब रस्मों की कोई जरूरत नहीं है मॉम क्योंकि ये शादी रियल नहीं है!”
जैसे ही उसने कहा व्योक्षा को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसका पूरा खून निचोड़ लिया हो, उसके शरीर से उसकी रूह को निकाल लिया हो! ऐसे कैसे वो उनकी शादी को झूठ कह सकता है? वो शादी पूरे रस्मों रिवाजों के साथ हुई थी… अब वो और भी ज्यादा हैरानी भरी नजरों से KV की तरफ देख रही थी!
KV उसे देखते हुए बोला "हां मैं जानता हूं तुम्हें वो शादी रियल लग रही होगी क्योंकि वहां पर फेरे भी हुए थे, मैंने तुम्हें मंगलसूत्र भी पहनाया और तुम्हारी मांग में सिंदूर भी भरा लेकिन वो शादी रियल नहीं थी! वो पंडित फेक थे… वो सब कुछ एक ड्रामे की तरह था ताकि मैं तुम्हें अपनी बीवी बनाकर यहां पर ला सकूं, इसके अलावा उस शादी का और कोई परपज नहीं था!”
जैसे ही उसने कहा अब व्योक्षा के होठों पर व्यंग भरी मुस्कराहट तैर गई! अब तक उसने कुछ नहीं कहा था लेकिन अब वो KV की तरफ देखते हुए बोली "और आपको ये सब करने की जरूरत क्यों थी?”
उसके सवाल पर KV की बोलती अब बंद हो गई थी, वो खुद नहीं जानता था उसने ये सब क्यों किया? फिलहाल उसके चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन थे।
व्योक्षा हल्का सा मुस्कुराई और बोली "आपको पता है सब लोग ना मेरा मजाक बनाते थे, कहते थे कि मैं बिल्कुल बेवकूफ हूं! बिल्कुल बच्चों की तरह बिहेव करती हूं जबकि उम्र तो मेरी बड़ों वाली है, अब 19 साल उम्र छोटी तो नहीं होती लेकिन मैं हमेशा कहती थी कि नहीं मैं बेवकूफ नहीं हूं! बेशक से बच्चों की तरह किंडर जॉय खाती हूं लेकिन बच्ची नहीं हूं, पर आज आपने साबित कर दिया Little Don कि मैं बेवकूफ ही हूं और Pookie आपने भी!” ये बोलकर अब उसने एक नजर कसक की तरफ देखा!
कसक का दिल धक सा रह गया! व्योक्षा ने अब अपने गले में पहनी हुई वरमाला निकाली और कसक की तरफ बढ़ाते हुए बोली "मुझे तो लगा था किडनैपर सिर्फ Little Don है लेकिन आप सब लोग भी उनसे मिले हुए थे! अब तक तो मैं यहां पर रह रही थी लेकिन अब मुझे यहां पर नहीं रहना इसलिए मैं चलती हूं!”
ये बोलकर वो अपने आंसू पोंछते हुए आगे की तरफ बढ़ गई! एक पल के लिए KV के जबड़े कस गए थे और उसके चेहरे पर गुस्सा झलक उठा था लेकिन अगले ही पल वो थोड़ी ऊंची आवाज में बोला "जब वरमाला उतार दी है तो मंगलसूत्र भी उतार कर देती जाओ, वो क्यों लेकर जा रही हो?”
जैसे ही उसने कहा व्योक्षा के कदम एकदम से रुक गए! वो बिना KV की तरफ देखे ही बोली "जब शादी रियल की थी ही नहीं तो इन सब चीजों का क्या मतलब बनता है? रियल है या फेक… है तो ये एक ज्वेलरी ही और मुझे नहीं लगता जिसके पास इतनी सारी प्रॉपर्टी है उसे एक छोटे से मंगलसूत्र से फर्क पड़ेग!”
ये बोलकर अब वो तुरंत वहां से सामने दरवाजे की तरफ बढ़ गई!
KV ने गुस्से से मुट्ठियां कस ली थी!
कसक की आंखों में बेइंतहा आंसू थ! उसकी आंखों के सामने सब कुछ धुंधला छाने लगा था!
जैसे ही वो नीचे जमीन पर गिरने लगी KV ने तुरंत उसे संभालना चाहा लेकिन उससे पहले ही AV आगे आ गया था और उसने कसक को कंधों से पकड़ लिया था!
वही कसक KV की तरफ देखते हुए बोली "आज तक मैंने कभी तुम्हें किसी चीज के लिए रोका टोका नहीं है, तुम जो करना चाहते थे मैंने तुम्हें सब करने दिया KV लेकिन आज तुमने प्रूफ कर दिया कि गैंगस्टर सिर्फ गैंगस्टर होते हैं! उनके अंदर दिल नहीं होता… उनके अंदर इमोशंस नहीं होते और वो किसी के सगे नहीं होते! काश मैं भी कह सकती कि जिस तरह से तुम्हारी शादी रियल नहीं थी वैसे तुम्हारे और मेरे बीच का रिश्ता भी रियल नहीं है, वो सब भी फेक है लेकिन अफसोस मैं ऐसा कह नहीं सकती! पर हां इतना जरूर कहूंगी तुमसे कि आज तुमने अपनी मॉम का दिल तोड़ दिया, बहुत बुरी तरह से तोड़ दिया!” ये बोलकर वो तुरंत अब अंदर की तरफ चली गई!
KV अपनी जगह पर खड़ा था और AV अपनी गहरी नजरों से उसे देख रहा था, KV ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया…
वहीं दूसरी तरफ
व्योक्षा सड़क पर चले जा रही थी! उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और उसके कानों में कृतिका KV कसक उन सब की कही हुई बातें गूंज रही थी, उसे ऐसा लग रहा था जैसे पूरी दुनिया ही गोल-गोल घूम रही हो!
वो ढंग से सामने की तरफ देख भी नहीं पा रही थी और फिर अचानक से ही एक गाड़ी उसके सामने आकर रुकी!
व्योक्षा उस गाड़ी को भी देख नहीं पाई इसलिए वो अपनी जगह से एक इंच तक नहीं हिली जबकि वो गाड़ी बिल्कुल उसके करीब थी, इतना करीब कि वो उस गाड़ी के नीचे भी आ सकती थी और अब उस गाड़ी से एक शख्स बाहर निकला!
व्योक्षा रोड पर चले जा रही थी! उसके कानों में कृतिका अनिका KV कसक और बाकी सब की कही हुई बातें गूंज रही थी, उसकी आंखों से आंसू बेइंतहा बह रहे थे! वो जितना अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश कर रही थी उतनी ही ज्यादा आंसू तेजी से बह रहे थे और वो उन बातों में इतना ज्यादा खोई हुई थी कि उसे अपने आसपास के बारे में कुछ पता ही नहीं चल रहा था!
गाड़ियां तेजी से उसके आसपास से गुजर रही थी और फिर अचानक ही एक गाड़ी बड़ी ही स्पीड से उसके बिल्कुल सामने आकर रुकी!
व्योक्षा पूरी तरह से खुद में खोई हुई थी, ये तो ड्राइवर ने गाड़ी जल्दी से संभाली वरना वो गाड़ी व्योक्षा के पैर पर चढ़ सकती थी और अब भी व्योक्षा का ध्यान उस गाड़ी की तरफ नहीं था! वो बस उन सब बातों के बारे में सोच रही थी…
गाड़ी ड्राइव कर रहे शख्स के चेहरे पर भी व्योक्षा के लिए परेशानी झलक रही थी और अब वो तुरंत गाड़ी से बाहर निकलकर व्योक्षा के सामने आकर खड़ा हुआ!
वो शख्स कोई और नहीं रिवान था जिसे AV ने उसके पीछे भेजा था! रिवान व्योक्षा की तरफ देखते हुए बोला "कहां जा रही हैं आप?”
व्योक्षा हल्का सा व्यंग्य से मुस्कुराई और बोली "आप मुझे दोबारा किडनैप करने आए हैं क्या? मुझे एक बार फिर से किडनैप करके दोबारा मेरे इमोशंस के साथ खेला जाएगा क्या? जो लोग पहले ही बेवकूफ है उन्हें और ज्यादा बेवकूफ बनाया जाएगा क्या?”
उसकी बातों पर रिवान को भी उसके लिए बुरा लग रहा था! वो उसकी तरफ देखते हुए बोला "एक्चुअली मैं आपको किडनैप करने नहीं बल्कि आपको अपने साथ लेकर जाने के लिए आया हूं!”
व्योक्षा तुरंत बोली "लेकिन मुझे आपके साथ कहीं नहीं जाना, Little Don के घर पर तो बिल्कुल भी नहीं!”
रिवान जल्दी से बोला "हां जानता हूं आप वहां पर नहीं जाना चाहती, लेकिन मैं आपको वहां पर जाने के लिए बोल भी नहीं रहा हूं! आप मेरे साथ आश्रम चल सकती हैं, वही आश्रम जहां पर पहले आप पढ़ाती थी… वहां आप कुछ दिनों के लिए रह सकती हैं!”
व्योक्षा एक बार फिर व्यंग्य से मुस्कुरा कर बोली "आपको मुझ पर इतनी मेहरबानी करने की जरूरत नहीं है, अगर मुझे वहां जाना होगा तो मैं खुद चली जाऊंगी! आप जाइए अपने बॉस के पास… शायद उन्हें आपकी ज्यादा जरूरत होगी, इतनी सारी प्लानिंग प्लॉटिंग करना एक अकेले इंसान के बस की बात तो हो नहीं सकती ना? उन्हें आपका भी दिमाग चाहिए होगा वरना नॉर्मल इंसानों का दिमाग कहां इतना चलता है?”
रिवान एक गहरी सांस लेकर बोला "इसका मतलब आप मेरे साथ नहीं जाना चाहती?”
व्योक्षा ने अपना सिर ना में हिलाया और बोली "नहीं बिल्कुल भी नहीं और अगर आपको Pookie या फिर Little Don के डैड ने भेजा है तो उन्हें कह दीजिएगा कि वो बस अपने बेटे को संभाले ताकि इसके बाद वो किसी और को बेवकूफ ना बनाएं! उनके तो शायद इमोशंस नहीं है, उन्हें फर्क नहीं पड़ता लेकिन जिन्हें वो बेवकूफ बनाते हैं ना उनका दिल पूरी तरह से टूटता है!”
ये बोलते हुए उसकी आंखों से आंसू बह गए थे और अब वो आगे की तरफ बढ़ गई थी!
रिवान कुछ पल उसकी तरफ देखता रहा! उसने अब अपने फोन से AV को कॉल किया…
सामने से AV ने कॉल रिसीव किया! रिवान ने उसे वो सब बता दिया था जो बात अभी उसकी व्योक्षा से हुई!
AV उन बातों को सुन रहा था और फिर एक गहरी सांस लेकर उसने रिवान से कुछ कहा, उसके चेहरे पर भी परेशानी झलक रही थी!
सामने से रिवान अपना सिर हिला कर बोला "ओके बॉस जैसा आप कहे!” ये बोलकर उसने उसका कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया था और फिर वापस अपनी गाड़ी में बैठकर वहां से निकल गया!
वहीं दूसरी तरफ
व्योक्षा ने अब खुद को संभाल लिया था, वो एक ऑटो में बैठी और अपने घर के लिए निकल गई थी।
राठी हाउस,
तकरीबन आधे घंटे बाद वो वहां पहुंची! उसके पास ऑटो वाले को देने के लिए भी पैसे नहीं थे इसलिए उसने वहां बाहर खड़े गार्ड को ही उसे पैसे देने के लिए कहा और खुद अंदर की तरफ आ गई!
अंदर आते ही उसकी नजर अपने डैड पर गई! मिस्टर अजय राठी जो सामने सोफे पर बैठे थे और उनके साथ ही तीन-चार लोग और भी बैठे थे, शायद वहां पर कोई मीटिंग चल रही थी!
व्योक्षा की आंखों से आंसु एक बार फिर से बहने लगे थे! वो तुरंत भागते हुए उनके पास आई और आकर सीधा उनके सीने से लग गई!
मिस्टर राठी के चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशंस आ गए, उनके हिसाब से वो मीटिंग उनके लिए बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट थी और व्योक्षा ने उन्हें डिस्टर्ब कर दिया था!
व्योक्षा रोते हुए बोली "आप मुझे लेने क्यों नहीं आए डैड? मैंने आपका कितना वेट किया…. मैंने आपको बहुत मिस भी किया, पहले मुझे Little Don की बातों पर लगा कि हां आप सच में मेरी और उनकी शादी के खिलाफ है! उन्होंने पता नहीं मुझे आपके बारे में क्या-क्या कहा था लेकिन आज मुझे पता चला कि वो सब कुछ उनका प्लान था, मुझे बहुत बुरा फील हो रहा है डैड! बहुत ज्यादा बुरा फील हो रहा है… ये बोलते हुए वो बुरी तरह से सिसक रही थी!
तभी मिस्टर राठी एकदम जोरों से चिल्लाए “अनुषा!”
अनुषा उनके घर में काम करने वाली एक हाउस हेल्प थी जो वहां काफी मैच्योर थी और वही व्योक्षा को संभालती थी! व्योक्षा की वो बचपने से भरी हुई बातें हमेशा मिस्टर राठी को इरिटेटिंग लगती थी इसलिए वो अनुषा की हेल्प से व्योक्षा को हमेशा अपनी इंपॉर्टेंट चीजों से जैसे कि मीटिंग और पार्टी वगैरा से दूर ही रखते थे!
अनुषा अब तुरंत उनके सामने आकर खड़ी हुई! मिस्टर राठी गुस्से से चिल्लाते हुए बोले “अभी इसी वक्त व्योक्षा को अंदर लेकर जाओ!”
व्योक्षा रोते हुए बोली "नहीं मुझे कहीं नहीं जाना डैड! मुझे आपके साथ यहीं पर रहना है, आप ये मीटिंग बाद में कर लीजिएगा…
मिस्टर राठी अनुषा की तरफ देखते हुए अब दांत पीसकर बोले “मैंने कहा अभी इसी वक्त व्योक्षा को लेकर यहां से जाओ!”
उनका गुस्सा देखकर अनुषा भी बुरी तरह से कांप रही थी!
वही सामने सोफे पर बैठे हुए एक शख्स की नजरे व्योक्षा पर थी, उसका वो रोना उसकी वो मासूमियत देखते हुए उसके चेहरे पर बेहद अजीब एक्सप्रेशन थे!
वो शख्स सम्राट सिसोदिया था जो मिस्टर राठी का बिजनेस पार्टनर भी था और वो खुद भी एक पॉलिटिशियन था!
वो मिस्टर राठी की तरफ देखते हुए बड़े ही प्यार से बोला “इट्स ओके मिस्टर राठी! अगर आपकी डॉटर को फिलहाल आपकी जरूरत है तो आप उनके साथ टाइम स्पेंड कर सकते हैं!”
उसकी बात पर मिस्टर राठी खुद को और भी ज्यादा एम्बेरेस फील करने लगे थे! उन्होंने अब एक बार फिर से अनुषा की तरफ देखा तो अनुषा आगे आई और जबरदस्ती व्योक्षा का हाथ पकड़ कर खींचते हुए उसे वहां से ले गई!
व्योक्षा बिल्कुल बच्चों की तरह रो रही थी! सम्राट सिसोदिया की नजरे उस पर से हटने का नाम नहीं ले रही थी और मिस्टर राठी भी उसकी नजरों को व्योक्षा पर महसूस कर सकते थे लेकिन फिलहाल उन्होंने कुछ नहीं कहा!
सम्राट खुद से ही बोला "आपकी बेटी आपसे काफी वक्त से दूर रह रही थी क्या मिस्टर राठी? ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने जबरदस्ती उसे अपने पास रखा हुआ था!”
मिस्टर राठी गुस्से से कांपते हुए बोले “हां KV ने! मैं अपनी बेटी की शादी कर रहा था लेकिन वो उसे भरे मंडप में किडनैप करके ले गया था और मैंने कितना कुछ किया उसे उसके चंगुल से छुड़ाने के लिए लेकिन वो तो जैसे मेरी बेटी के लिए पागल ही हो गया था और आज ही मैंने अपने आदमियों को एक बार फिर से वहां पर भेजा था! अब मेरी बेटी तो वापस मेरे पास आ गई है लेकिन वो लोग एक बार फिर से मेरी बेटी को मुझसे दूर करने की कोशिश करेंगे, मैं अपनी बेटी से बहुत प्यार करता हूं… लेकिन वो बहुत मासूम है इसलिए मैं बेशक से जितना मर्जी उसे प्रोटेक्ट करने की कोशिश कर लूं उसकी किसी ना किसी गलती की वजह से मेरे दुश्मन हमेशा मुझ पर हावी हो ही जाते हैं इसलिए मुझे उससे थोड़ी सख्ती बरतनी पड़ती है!”
सम्राट तिरछा मुस्कुरा कर बोला "यही तो आप गलती कर रहे हैं मिस्टर राठी क्योंकि फूल अगर नाजुक हो तो इसमें गलती फूल की नहीं है, अगर कांटों से उसे बचाना है तो फूल को नहीं बल्कि कांटों को उखाड़ना सीखिए! खैर इस बारे में हम बाद में इत्मीनान से बात करते हैं, पहले ये मीटिंग पूरी कर लें?”
उसकी बात पर मिस्टर राठी ने अपना चेहरा हां में हिलाया!
वहीं दूसरी तरफ
व्योक्षा बुरी तरह से रोए जा रही थी! अनुषा जो उम्र में लगभग से उससे 5-7 साल ही बड़ी थी वो उसका हाथ पकड़ कर बेड पर बैठी थी!
वो उसकी तरफ देखते हुए बोली "तुम्हें यहां पर देख कर मुझे कितना सुकून मिल रहा है मैं बता नहीं सकती व्योक्षा, मुझे तुम्हारी बहुत टेंशन हो रही थी!”
व्योक्षा रोते हुए बोली "सिर्फ आपको मेरी टेंशन हो रही थी और तो किसी को जैसे मेरी कोई टेंशन थी ही नहीं, अगर होती तो डैड मुझे लेने जरूर आते! लेकिन वो तो मुझे लेने ही नहीं आए… कहीं ऐसा तो नहीं कि Little Don ने उन्हें भी कोई धमकी दी हो? हां जरूर ऐसा ही होगा वरना मेरे डैड मुझे लेने ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता! वो मुझसे बहुत प्यार करते हैं है ना?”
ये सवाल पूछते हुए वो अनुषा को देख रही थी और अब अनुषा को भी समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे? क्योंकि सिर्फ उसने ही नहीं और भी घर के बहुत सारे सर्वेंट ने खासकर अम्मा ने मिस्टर राठी को कहा था कि वो व्योक्षा के लिए कुछ करें, लेकिन उन्हें तो अपनी पार्टी से ही फुर्सत नहीं थी! कभी कोई रैली तो कभी कोई मीटिंग… वो इन सब में इतना ज्यादा बिजी थे कि उन्हें व्योक्षा का कोई होश ही नहीं था और अगर कभी वो इन चीजों से फ्री हो भी जाए तो उनकी अपनी रंगरलिया… ये सब सोचते हुए अनुषा के चेहरे पर व्योक्षा के लिए तकलीफ साफ नजर आ रही थी!
वहीं दूसरी तरफ,
वोहरा विला
KV इस वक्त विला के हॉल में था और सोफे पर बैठा ड्रिंक कर रहा था! उसके एक हाथ में जलती हुई सिगरेट थी, उसके कानों में व्योक्षा की कही हुई बातें गूंज रही थी….
उसने वाइन का गिलास अपने हाथ में उठाया और उसे हल्का गोल घूमाते हुए बोला "तुम्हें इस खेल में शामिल करना कभी इस खेल की जरूरत नहीं थी लेकिन तुम्हारे डैड की वजह से तुम खुद ब खुद इस खेल का हिस्सा बनी! मैंने तुम्हें किडनैप किया तो तुम्हारे डैड तुम्हें यहां से लेकर भी जा सकते थे, लेकिन वो नहीं लेकर गए और अगर KV के पास कोई चीज है तो वो उसे इस्तेमाल करेगा! ये उस चीज या फिर उस चीज के मालिक को सोचना चाहिए कि उन्हें वो चीज KV के पास रहने देनी है या नहीं? अब तुम थी तो तुम इस्तेमाल हुई और अगर इस चीज से इतनी प्रॉब्लम है तो जाकर अपने डैड से कंप्लेंट करो! मुझे तुम्हारी बातों से घंटा फर्क नहीं पड़ता…
ये बोलकर उसने गिलास को अपने होठों से लगाया और फिर अगले ही पल वो पूरी वाइन खत्म कर दी, पर अभी भी उसके चेहरे पर सेटिस्फेक्शन नजर नहीं आ रही थी! वाइन से वो सेटिस्फाई तो कभी होने ही नहीं वाला था लेकिन फिलहाल उसे अपनी कही हुई बातों से ही सेटिस्फेक्शन नहीं मिल रही थी!
रात के लगभग से 11 बज गए थे लेकिन अभी तक व्योक्षा ने खाना नहीं खाया था! अनुषा दो-तीन बार उसके पास आ चुकी थी उसे खाना खिलाने के लिए लेकिन हर बार व्योक्षा उसे रोते हुए दिखाई देती और वो उसे वापस भेज देती!
अब वो एक बार फिर से उसके लिए खाना लेकर आई थी लेकिन जैसे ही उसने खाने की ट्रे उसके सामने रखी, व्योक्षा ने नजर उठाकर उसकी तरफ देखा और बोली "डैड फ्री हो गए क्या?”
अनुषा के चेहरे पर मायूसी झलक गई क्योंकि मिस्टर राठी फ्री तो हो गए थे, लेकिन अब उन्होंने इतनी ज्यादा ड्रिंक की हुई थी कि वो अपने होश में भी नहीं थे! अपने रूम में जाकर वो आराम से सो भी चुके थे जबकि व्योक्षा पिछले तीन-चार घंटा से उनका इंतजार कर रही थी!
व्योक्षा उसे चुप देखकर एक बार फिर से बोली “शायद डैड फ्री हो गए होंगे! मैं खुद ही जाकर उन्हें देख लेती हूं!”
ये बोलकर वो अपनी जगह से उठी और वहां से बाहर जाने लगी!
अनुषा ने तुरंत उसका हाथ पकड़ कर उसे रोका और बोली "वो… वो मैं तुम्हें बताना भूल गई कि तुम्हारे डैड की तबीयत ठीक नहीं है व्योक्षा, उन्हें ना बहुत ज्यादा सिर दर्द हो रहा था तो उन्होंने इस वक्त काफी दवाइयां ले रखी है जिसकी वजह से उनकी आंख लग गई है! वो तुम्हारे बारे में पूछ रहे थे पर उस वक्त मुझे लगा तुम भी सो रही हो तो मैंने उन्हें ये कह दिया कि हां तुम सो गई, आई एम सो सॉरी… मुझे सच में लगा कि तुम सो रही हो!”
उसकी बात सुनकर व्योक्षा हैरान थी! वो तो एक पल के लिए भी नहीं सोई थी पर अब अपने डैड के सोने की बात सुनकर उसकी मायूसी और भी ज्यादा बढ़ गई थी।
वो अपने आंसू साफ करते हुए बोली "कोई बात नहीं मैं डैड से कल मिल लूंगी!”
अनुषा जल्दी से बोली "हां तुमने ये बिल्कुल ठीक कहा, अभी फिलहाल तुम एक काम करो जल्दी से डिनर फिनिश कर लो!”
उसकी बात पर व्योक्षा ने अपना चेहरा ना में हिलाया और बोली "नहीं मुझे कुछ भी खाने का मन नहीं कर रहा, मेरा भी सिर बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है! क्या तुम मुझे सिर दर्द की दवा दे सकती हो? मुझे भी सोना है… पता नहीं क्यों पहले तो मुझे रोते रोते नींद आ जाती थी लेकिन अब तो वो भी नहीं आ रही है!”
उसकी बात पर अनुषा ने कुछ नहीं कहा, वो उसे क्या ही कहती कि दिल टूटने के बाद अक्सर नींदे गायब हो जाती है!
वो सामने क्लोजेट की तरफ गई, उसने वहां रखा मेडिकल बॉक्स निकाला और फिर उसमें से पेन किलर लेकर वापस व्योक्षा के पास आई!
व्योक्षा ने वो पेन किलर लिया और फिर चुपचाप बिस्तर पर लेट गई! अनुषा उसके पास बैठी और उसके बालों को सहलाते हुए बोली "प्लीज थोड़ा सा खा लो व्योक्षा वरना तुम्हारी तबीयत खराब हो जाएगी!”
व्योक्षा ने अपना सिर ना में हिला दिया, अब उसने अपनी आंखें भी बंद की हुई थी!
अनुषा कुछ देर उसे यूं ही देखती रही और फिर वहां से खाना लेकर वापस चली गई, उसके जाने के बाद व्योक्षा ने अपनी आंखें खोली! वो जानती थी कि अनुषा तब तक वहां से नहीं जाएगी जब तक वो अपना खाना फिनिश नहीं करेगी और फिलहाल उसका सच में खाने का मन नहीं था!
अब एक बार फिर से उसकी आंखों से आंसू बहने लगे, उसकी आंखों के सामने KV का चेहरा घूम रहा था! जब से वो दोनों मिले थे तब से ज्यादातर वो दोनों रात को साथ ही सोते थे, KV बेशक से लिमिट में रहकर उसे प्यार करता था लेकिन करता जरूर था…. वो सब याद करते हुए व्योक्षा का दिल एक बार फिर से बुरी तरह टूट रहा था।
वहीं दूसरी तरफ
सम्राट इस वक्त अपनी गाड़ी में था और बैक सीट पर बैठा था, गाड़ी उसका ड्राइवर ड्राइव कर रहा था और साथ में उसका असिस्टेंट भी था!
वो अपने असिस्टेंट अनिल की तरफ देखते हुए बोला "कल रात के लिए सिसोदिया हाउस में एक पार्टी का अरेंजमेंट करो और उस पार्टी में KV और मिस्टर राठी दोनों को इनवाइट करो!”
उसकी बात सुनकर अनिल हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए बोला "लेकिन उन दोनों के बीच तो कुछ प्रॉब्लम चल रही है ना बॉस? आई मीन उन दोनों का एक साथ पार्टी में आना कहीं कोई इशू क्रिएट ना कर दे?”
सम्राट तिरछा मुस्कुराया और बोला "कभी किसी चीज की वैल्यू पता करनी हो तो उसके ऑनर से मुलाकात करनी जरूरी होती है, उस ओनर की बातों से ही उस चीज की वैल्यू साफ झलकती है और सम्राट को वो चीजें ज्यादा अच्छी लगती है जिन्हें दूसरे हासिल ना कर पाए! उन चीजों का मजा ही अलग होता है… ये बोलते हुए उसके चेहरे पर डेविल एक्सप्रेशंस थे।
अनिल को उसकी बात समझ तो नहीं आई लेकिन फिलहाल उसने अपना सिर हां में हिला दिया!
सुबह का वक्त
तकरीबन 8 बजे!
Vohra Villa,
KV आराम से सोफे पर सोया हुआ था! नीचे दो-तीन बोतल गिरी हुई थी जिनमें से एक पूरी तरह से टूट चुकी थी और कांच हर जगह पर फैला हुआ था!
वहां सिगरेट भी बहुत सारी गिरी हुई थी और KV के ऊपर एक दुपट्टा था सफेद रंग का, जो किसी और का नहीं व्योक्षा का था और उसने उस पूरे दुपट्टे को अपने ऊपर ऐसे ले रखा था जैसे कोई बेडशीट…
शायद कल रात वो व्योक्षा को याद कर रहा था या फिर ना जाने क्या बात होगी? जो वो क्लोजेट में रखा हुआ व्योक्षा का दुपट्टा बाहर हॉल में लेकर आया और ऐसे अपने ऊपर ओढ़ कर सो गया और अब उसे कुछ कदमों की आहट सुनाई दी तो उसने अपनी आंखें खोली!
अगले ही पल वो हैरान था क्योंकि उसे भी वो दुपट्टा खुद पर देखकर हैरानी हो रही थी! उसने तुरंत उसे अपने चेहरे से हटाया और सामने वॉल क्लॉक की तरफ देखा जहां सिर्फ 8 बजे थे।
अभी मुश्किल से दो-तीन घंटे ही उसे सोए को हुए थे, अभी तो उसकी नींद भी पूरी नहीं हुई थी और उसकी आंखें एकदम गहरी लाल थी और अब वो चेहरा घूमाते हुए इधर-उधर देख रहा था जहां विला में काम करने वाली सर्वेंट अपना काम कर रही थी और उनकी वजह से उसकी नींद डिस्टर्ब हुई थी।
वो अपनी जगह से उठा तो अगले ही पल उसके पैर पर कांच लगा और उसकी हल्की सी आह निकल गई!
कल रात उसी से वो वाइन की बोतल गिरी थी लेकिन रात को वहां पर कोई सर्वेंट सफाई के लिए नहीं था तो वहां सफाई नहीं हुई थी और अभी तो फिलहाल वो सर्वेंट वहां पर आई थी, अब वो लोग सफाई ही करने वाले थे लेकिन इससे पहले ही KV के पैर में कांच चुभ गया था!
KV गुस्से से भड़कते हुए बोला "तुम लोगों से अगर अपना काम ढंग से नहीं होता है तो ये जॉब छोड़ क्यों नहीं देते? दफा हो जाओ यहां से… तुमसे बेहतर लोग मिल जाएंगे मुझे अपना काम करवाने के लिए, तुम लोगों की यहां पर कोई जरूरत नहीं है!”
अभी वो बोल ही रहा था कि पीछे से किसी की ताली बजाने की आवाज आई, उसने तुरंत पलट कर पीछे देखा तो सामने कसक खड़ी थी जिसके चेहरे पर गुस्सा नाराजगी और तकलीफ तीनों नजर आ रही थी!
ताली बजाते हुए ही वो आगे की तरफ आई और उसके पैर की तरफ देखते हुए बोली "अपने पैर पर हल्का सा कांच लगा तो इतनी तकलीफ हो रही है तुम्हें? इतना गुस्सा आ रहा है? किसी मासूम का दिल तुमने पूरी तरह से चकनाचूर कर दिया तब तुम्हें कुछ फील नहीं हुआ? तब तुम्हें उसका पेन महसूस नहीं हुआ? तब तुम्हें बुरा नहीं लगा?”
KV उसकी तरफ देखते हुए थोड़े शिकायती लहजे में बोला “Butterfly आपको मुझसे भी ज्यादा मैटर करती है ना?”
कसक तुरंत बोली "Butterfly नहीं व्योक्षा राठी नाम है उसका, उसे उसके नाम से बुलाओ! Butterfly शायद तुम उसे प्यार से कहते थे… वो प्यार जो सिर्फ दिखावा था! वो अब यहां पर नहीं है और ना ही तुम्हें कोई दिखावा करने की जरूरत तो अब तुम्हें उसे Butterfly नहीं कहना चाहिए!”
KV थोड़ा सा सख्त होकर बोला "मुझे किसे किस नाम से बुलाना है और किस नाम से नहीं ये मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं और आप जानती हैं कि ये मेरा प्राइवेट प्लेस है, यहां पर मैं किसी की इंटरफ़ेरेंस बर्दाश्त नहीं करता हूं! आज तक आपने कभी मेरे पर्सनल स्पेस पर इंटरफेयर किया भी नहीं है तो आज? आज यहां पर आने की क्या जरूरत पड़ गई?”
कसक अब थोड़े एटीट्यूड से बोली "माना ये तुम्हारा पर्सनल स्पेस है, लेकिन है तो ये भी वोहरा
प्रॉपर्टी जिसकी मालकिन हूं मैं! तुम मुझे यहां आने से रोक नहीं सकते… हां सवाल जरूर कर सकते हो कि मैं यहां पर आई क्यों? तो बस यूं ही मन किया यहां पर आने का, एक्चुअली सोच रही हूं कि व्योक्षा का सामान उसे लौटा दूं! काफी सामान उसका यहां पर भी रखा है तो बस वही लेने आई थी!”
ये बोलते हुए अब उसने एक नजर सामने सोफे की तरफ देखा जहां पर व्योक्षा का दुपट्टा रखा था!
KV की आंखें बड़ी हो गई लेकिन वो कुछ कहता उससे पहले ही कसक ने नीचे झुक कर वो दुपट्टा उठाया और उसे लपेटते हुए बोली "ये दुपट्टा व्योक्षा को बहुत अच्छा लगता था, उसने एक बार पहना था और बता रही थी कि उसे सफेद रंग बहुत पसंद है! बहुत कम लड़कियों को ये रंग पसंद होता है पर व्योक्षा? वो तो वैसे भी सबसे अलग थी… जहां आजकल की लड़कियां रिलेशनशिप में आते ही लड़के की हिस्ट्री पता लगता लेती है, वहां वो बेचारी तो इरादे ही पता नहीं लगा पाई हिस्ट्री पता लगवाना तो दूर की बात!”
KV अब गुस्से से बोला "आप मुझे टोंट मार रही हैं?”
कसक ने तुरंत अपना चेहरा ना में हिलाया और बोली "बिल्कुल भी नहीं! टोंट मतलब किसी को अपनी शिकायत अपनी नाराजगी के बारे में बताना और तुम्हें मैं अपनी नाराजगी बता कर क्या ही करूंगी? तुम्हें कहां किसी से कोई फर्क पड़ता है? फर्क पड़ता तो शायद मैं नाराज होती ही नहीं! खैर मैं चलती हूं… अंदर से व्योक्षा का बाकी सामान लेना है!”
ये बोलकर उसने अपने साथ आई एक सर्वेंट की तरफ देखा जिसके हाथ में एक सूटकेस था, अब वो उस सर्वेंट के साथ अंदर की तरफ जाने लगी!
लेकिन KV ने तुरंत उसकी कलाई पकड़ कर उसे रोक लिया, कसक ने अपनी गहरी नजरों से देखा!
KV ने उसके हाथों से वो दुपट्टा लिया और बोला "ये सारा सामान Butterfly अपने घर से नहीं लेकर आई थी, उसे ये सब मैंने ही दिलाया था और अब अगर उसे ये सब वापस देना होगा तो मैं खुद-ब-खुद कर दूंगा! आपको इतनी तकलीफ उठाने की जरूरत नहीं है, आप जाइए जाकर अपना ख्याल रखिए… फिलहाल इस चीज की आपको सबसे ज्यादा जरूरत है!”
ये बोलकर वो तुरंत अंदर की तरफ बढ़ गया!
कसक उसकी तरफ जाती उससे पहले ही KV ने दरवाजा बंद करते हुए लॉक लगा दिया था, कसक को लॉक लगाने की हल्की सी आवाज साफ सुनाई दी! उसके चेहरे पर अब व्यंग भरी मुस्कराहट थी…
वो सर्वेंट उसकी तरफ देखते हुए बोली "अब क्या करना है मैम साहब? यहीं पर रुकना है या फिर घर वापस चलना है?”
कसक कुछ सोचते हुए बोली "हमारे पास व्योक्षा का बाकी का सामान तो है ना जो Dark Villa में था? चलो उसे वो सामान वापस देकर आते हैं!”
ये बोलकर अब वो बाहर आई और गाड़ी में बैठी, अगले ही पल उसने ड्राइवर को गाड़ी राठी हाउस लेकर चलने के लिए बोल दिया था।
वहीं दूसरी तरफ
KV अंदर आकर गुस्से से उस दुपट्टे की तरफ देख रहा था! उसने उस दुपट्टे की तरफ देखते हुए कहा “ये सब मैंने ही तुम्हें लेकर दिया था, अब तुम यहां नहीं हो तो इसकी कोई जरूरत भी नहीं है! ये चीजें तुम्हारे लिए थी और तुम्हारे जाने के बाद इनका वजूद भी खत्म हो जाना चाहिए… ना ये रहेगी और ना ही तुम और तुम्हारा वजूद!”
ये बोलकर उसने एक गहरी सांस ली और उस दुपट्टे को नीचे जमीन पर फेंक दिया!
अगले ही पल उसने क्लोजेट से व्योक्षा का बाकी सारा सामान भी निकाला और उसे नीचे जमीन पर फेंक कर उस पर शराब की एक बोतल खाली कर दी और फिर दूसरे ही पल लाइटर से उसे आग भी लगा दी!
आग की लपटों की परछाई KV की आंखों में साफ दिखाई दे रही थी।

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