
व्योक्षा फ्रूटी पीते पीते उन लड़कों के पीछे भाग रही थी जो उसका सूटकेस लेकर रेलवे स्टेशन से भाग गए थे, उनके पीछे भागते हुए वो बेहद तंग गली में आ गई थी जहां पर बहुत सारा कचरा रखा हुआ था और उस कचरे में बहुत ज्यादा स्मेल भी आ रही थी और अब अचानक से ही व्योक्षा की फ्रूटी खत्म हो गई तो व्योक्षा के कदम रुक गए!
उसने उस फ्रूटी को पिचकाते हुए कहा “अब ये भी खत्म हो गई, अब मैं क्या करूं? वो लड़के तो मेरा सूटकेस लेकर पता नहीं कहां गए? बेशक से मुझे कहीं जाना नहीं है, मैं चाहूं तो घर पर वापस जा सकती हूं लेकिन मेरा सामान… वो तो वो सारा ले गए ना! अब मैं अपने इतने सारे कपड़े कहां से लाऊंगी? डैड से कहूंगी तो वो भी मुझे इतने सारे कपड़े एक साथ नहीं लेकर देंगे, मेरे सारे अच्छे-अच्छे कपड़े तो सूटकेस में चले गए!” ये बोलते हुए वो मुंह बना रही थी!

Write a comment ...