
निर्मला जी की बात सुनकर नाज़नीन के चेहरे का रंग उड़ गया था, निर्मला जी उस पर जो इल्जाम लगा रही थी वो नाज़नीन सुन भी नहीं सकती थी! अब वो जल्दी से उषा जी के पास आई और उनका हाथ पकड़ कर बोली "ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है मां जी जैसा मासी जी बोल रही है, हां मैं सिकंदर जी के घर पर थी लेकिन वहां पर मैंने सिर्फ थोड़ा सा खाना खाया है! इसके अलावा और ऐसा कुछ नहीं हुआ जिस पर आप मुझ पर उंगली उठाए, मैं जानती हूं कि मुझे वहां पर खाना भी नहीं खाना चाहिए था!”
उषा जी हैरानी से बोली "क्यों? तुम्हें वहां पर खाना क्यों नहीं खाना चाहिए था? जब वहां पर अपने पैरों पर ये गहरा लाल रंग लगवा सकती हो जो सिर्फ और सिर्फ एक सुहागन की निशानी होती है तो खाना खाने में क्या ही प्रॉब्लम हो सकती है?”

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