
जैसे ही सिकंदर ने अपने होठों को नाज़नीन की गर्दन पर रखा नाज़नीन का पूरा बदन बर्फ की तरह जम चुका था! वो जैसे सांस लेना भी भूल गई थी, उसके हाथ सिकंदर के कंधों पर थे।
वो उसे खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी पर अब सिकंदर ने उसकी दोनों कलाइयों को कसकर पकड़ते हुए पीछे दरवाजे से लगा दिया था और वो खुद उस पर पूरी तरह से झुका हुआ था! उसने उसकी गर्दन पर अपने होठ बेशक से रखे थे लेकिन वो उसे किस नहीं कर रहा था, उसने बस अपने होठों को एक जगह पर टिकाया हुआ था और उन्हें थोड़ा सा प्रेस कर रहा था जिसकी वजह से उसका दबाव नाज़नीन के ऊपर लगातार बढ़ता जा रहा था और नाज़नीन उससे अपनी कलाइयों को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन सिकंदर ने उसकी कलाइयों को इतना ज्यादा कसकर पकड़ा हुआ था कि अपनी कलाइयों को छुड़ाना तो दूर की बात है वो उन्हें हिला तक नहीं पा रही थी!

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