
नाज़नीन ने जैसे ही अपना हाथ सिकंदर पर उठाना चाहा, सिकंदर ने पहले उसकी एक कलाई को पकड़ा और फिर उसकी दूसरी कलाई को भी पकड़ कर उसे गोल घुमाया जिसके बाद नाज़नीन की पीठ सिकंदर के सीने से लगी हुई थी।
सिकंदर ने उसके हाथों को भी पीछे की तरफ खींचा हुआ था जिसकी वजह से नाज़नीन के हाथ सिकंदर की पीठ को छू रहे थे, नाज़नीन के होठों से हल्की सी आह निकल गई थी।




















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