
शाम के 4 बजे
व्योक्षा राठी हाउस के गार्डन एरिया में इधर-उधर घूम रही थी! उसने अपने पेट पर अपना हाथ रखा हुआ था, वो अपने पेट की तरफ देखते हुए बोली "तुमने बहुत कुछ खा रखा है! तुम बिल्कुल भी खाली नहीं हो, आज सुबह ही तो तुमने इतने सारे किंडर जॉय खाए थे और फिर जूस भी पिया नाश्ता भी किया! दिन में गोलगप्पे भी खाए, आइसक्रीम भी खाई पाव भाजी भी खाई… मंचूरियन भी खाया मोमोज भी खाए वो भी स्पाइसी वाली चटनी के साथ!” ये बोलते हुए उसने अपनी जीभ को हल्का सा बाहर निकाला और फिर अपने होठों पर गोल घुमाया!




















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