ध्रुविका के सिर के पीछे से खून बह रहा था और इतने में भी पवित्रा का मन नहीं भरा था। अब उसने एक बार फिर से ध्रुविका का चेहरा ऊपर की तरफ किया और फिर उसके गालों को कसकर उंगलियों से जकड़ते हुए बोली "जब मैंने बचपन में तुझे मां वाला प्यार नहीं दिया तो तूने अब कैसे सोच लिया कि मैं तेरे साथ नरमी से पेश आऊंगी। मुझे पहले ही समझ जाना चाहिए था कि तू अपनी हरकतों से बाज नहीं आएगी। यहां आने से पहले मैंने तुम्हें अच्छे से समझाया था कि यहां आकर कोई भी ऐसी वैसी हरकत मत करना, जिससे तुम्हें मेरा ये रूद्र रूप देखना पड़े लेकिन तुम नहीं मानी तो अब तुम देखो मैं तुम्हारे साथ क्या करती हूं। तुम्हे क्या लगता है मैं यहां पर तुम्हें इस कियान के साथ रहने दूंगी… बिल्कुल भी नहीं चुपचाप यहां से निकलो और सीधा लंदन वापस चली जाओ और खबरदार अगर कियान से कोई कांटेक्ट करने की भी कोशिश की तो”
Write a comment ...