
बरकत हैरानी से अधीर की तरफ देख रही थी जो खुद भी बिना कपड़ों के उसके बिस्तर पर सोया हुआ था और उसने बरकत के भी कपड़े उतार दिए थे, कल रात अधीर को गर्मी लग रही थी तो उसने अपने कपड़े तो उतारे ही लेकिन उसे लगा शायद बरकत को भी गर्मी लग रही होगी तो उसने उसके भी कपड़े उतार दिए थे और अब परेशानी ये थी कि बाहर दरवाजे पर अखिल खड़ा था और वो लगातार दरवाजा बजा रहा था।
बरकत को समझ नहीं आया कि वो करें क्या? उसने तुरंत अपने कपड़े पहनने शुरू किए और फिर जल्दी से अधीर को उठाना शुरू किया।

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